जाड़ो की दस्तक


अल सुबह से ठंडी हवाएं चल रही हैं... गोया जाड़ो ने हौले से दस्तक दी हो और गर्मियों के मौसम से चुपके से कहा हो-
गर्मी के मौसम ! अब विदा लो और कुछ देर हमें भी ठहरने दो... तुम फिर आ जाना, वैसे भी तुम ही ज़्यादा डेरा डाले रहते हो... बरसात के मौसम में भी तुम्हारा ही जलवा क़ायम रहता है... मगर अब हम आ गए हैं, दिवाली की रौनक़ लेकर, क्रिसमस के तोहफ़े लेकर और नये साल की सौग़ात लेकर...
विदा गर्मियो के प्यारे मौसम ! अगले साल फिर मिलेंगे... उदास मत होना, बस कुछ ही माह की बात है, फ़रवरी तक का ही तो इंतज़ार है... मार्च में फिर तुम्हारे साथ होंगे..
-फ़िरदौस ख़ान
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